Wednesday 20 November 2013

क्या मंज़िल है, किसकी सफलता

इंसान जाग रहा है 
देश पुकार रहा है 
आज आम आदमी खड़ा बोले
तो भ्रष्ट मंत्री बाधा डाले 

बंद कमरे आरोप पड़े 
और कौन, समाज से खुलके बोले? 
'जाँच करो, सब साथ करो 
वक़्त बार ना बर्बाद करो' | 

तुम बोले ये राजनीतिक है ,
तुम सोचे ये क्यूँ खुलें हैं ?
दूध के जले तो हम सब हैं .
पर इस दाल में ना कुछ काला है |

स्थिर हो, रुक जाओ 
आज एक बार फिर विचारो  
क्या इरादा है देश की सफलता 
या हर जागती उमीद मिसलना? 

क्या मंज़िल है सदाचारी स्वतंत्र 
या बेबस हो, दोबार रोना? 
जागते भारत  को अब ना सुल्ाओ  
आम आदमी हो, आम आदमी को सत्ता में लाओ | 

In hope for a brighter tomorrow with India's anti-corruption movement being fought by Aam Aadmi Party.